Sunday, December 20, 2009





प्राप्ति

सुख को पाते है लोग
धन दौलत में
इज्जत और शोहरत में,
कुछ ही लोग
प्यार और स्नेह में
मगर एकाध कोई
फूलों के मुस्कराहट में
माँ की पुरानी
साडी की नरमी में
गरीब भिकारी के गाने के आलाप में

Friday, December 18, 2009




एक बार


तेरी गोद में सर रखकर रोने दो
मेरी दर्द की दरिया को बहने दो
ऐ सहेली...जीने के दिन हैं ही दो
तुम एक बार फिर मुस्कुरा दो
बिनती

बरसों मेघा बरसों
जोर जोर से बरसों
मगर इतना जोर से नहीं कि,
मेरी नजूक सखी
बारिश में भीग न पाए
बूंदों से खेल न पाए

फोटोग्राफर

लोगों के खुशियों को 
रंग-रंगीन तसवीर बनाकर
उन के मीठे मीठे यादों को जोड़ कर
उन्हें देता है 
फिर से याद करने के लिए.... 

और अपने लिए बचा लेता है
उन यादों के बेरंग नेगेटिव्स

और अनजान
भीड़ वाला अकेलापन