Wednesday, March 24, 2010


स्थिति

फिर वही रासतें
फिर वही राह गुज़र 


जाने हो या ना हो
मेरा घर वो नगर


ये कहानी नहीं
जो
सुनादूँगा मै 


जिंदगानी नहीं
जो
गवाँ दूंगा मै

छाव
भी धूप की तरह गुज़री मेरी 
अब जो दीवार आए , गिरादूंगा  मैं 

तेरा आँचल रहा
आसमाँ की तरह



सारे मौसम गए
फिजा की तरह


साये की तरह 

सब दूर होते गए 


सिर्फ खुशबू रही 
दिल की घाव की तरह

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