Monday, July 23, 2012

पीढी अंतराल

मेरी प्यारी जिद्दी रानी !
अभी तक मुझ  से रूठी हो..? जब भी तुम रूठ्जाती हो तो मुझे थोडा मजा आता है  मगर साथ ही में डर भी लगा रहता है कि, तुम को कहीं  खों ना दूँ  हमारे बीच  जब किसी बात पर बहस उठ खडी होती है तो,  तुम मेरी किसी भी  बात को समझती  ही नहीं हो क्यों की तुम हमेशा अपने नाक के बराबर ही सोचती हो । और कहती हो कि, मै तुम्हे समझ ने की कोशिष नहीं करता हदर असल बात यह है कि, मै तुम्हे समझता  हूँ मगर तुम मुझे  समझने की  कोशिश नहीं करती हो  तुम सिर्फ चाहती हो कि, हर कोई तुम्हारी बात माने अपने बात को मनवाने की  क्रिया को ही तुम understanding  कहती हो मगर वास्तव में वह समझना नहीं, मजबूर होना होता है  इसी को wave length का match ना होना कहते है एक रिश्ते में अपने साथी इनसान के बात को समझने  के लिए  बौद्धिक विकास होना जरूरी होता है. मगर उस की  कमी ही सारी समस्याओं का जड़ है।  यह बात बाप- बेटे माँ- बेटी जैसे सभी रिश्तों पर लागू  होती है दो व्यक्तियों में किसी एक की  बात को दूसरा व्यक्ति समझ नहीं पाया तो, उसी को आज-कल जेनरेशन गैप कहते है  कोई भी रिश्ता अरोग्यपूर्ण होना हो तो, wave length  का सामान होना जरूरी है ।  या फिर, सामने की  व्यक्ति के ''नासमझी'' को समझने की  maturity  दोनों में से किसी एक को  होना चाहिए, जिस से कड़वाहट ज्यादा नहीं होती है ये maturity क्या है ? इस का विकास कैसे होता है ..? इन  सब बातों को फिर कभी बताऊंगा मगर आज तुम को थोडा ये जेनरेशन गैप के बारे में बताता हूँ 

  भगवान ने हर इंसान को अलग अलग बनाया ही, साथ में बुद्धि को भी अलग अलग बना डाला मगर इंसान के स्वभाव और सोच का निर्माण उस के खान पान, माता पिता और उस के माहौल ये सब मिलकर बना लेते है  और वह स्वभाव निरंतर बदलते रहता है और बदलना भी चाहिए change is the law of world. और वह बदलाव व्यक्तित्व और व्यवहार में भी होना चाहिए जो व्यक्ति  समय के साथ अपने बौद्धिक  सामर्थ्य को नहीं बढाता  है, उसे दुनिया के सारी चीजों में समस्याएं नज़र आने लगती है  इसीलिए किसी दार्शनिक ने कहा है कि man has to change his opinions, but  donkeys need not. 


 पुराने जमाने में ज्ञान प्राप्त करने का एक मात्र स्रोत माता पिता या बुजुर्ग हुआ करते थे एक बच्चा अपने पिता के धंदे को बचपन से देखते देखते सीख लेता था उसे कहीं जाने कि जरूरत नहीं थी क्यों  कि, स्वयं उस के पिता उस धंदे में पारंगत या Expert होता था इस तरह उन कि पुश्तैनी पेशा उन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित या transfer हुवा करती थी। बेटे को उस के पिता के देखरेख में हर काम को सीखना पड़ता था  इस तरह अनुभव के आधार पर पिता  अपने बच्चे से हमेशा आगे होता था. यह सिद्धांत करीब करीब सभी रोजगार के तरीकों पर लागू था पुराने जमाने में आज की तरह हर कसबे, हर गॉव या हर शहर में  स्कूल, कोलेगे या विश्वविद्यालय नहीं थे कुछ ही बड़े घरानों के बच्चों के लिए गुरुकुल या मदरसा हुआ करते थे इस प्रकार कि शिक्षा कि सुविधा आम जनता को उपलब्ध नहीं थीं यहीं कारण था कि हर पिता अपने बच्चे के लिए केवल पिता नहीं बल्कि, गुरु भी होता था हर पिता या गाँव के बड़े बूढ़े अपने धंदे में निष्णात थे उस बच्चे को ज्ञान का कोई दूसरा स्रोत नहीं होने के वजह से हर बच्चा हमेशा अपने बड़े बूढों से कम जानता था इस से स्वाभाविक रूप से बच्चे के मन में बड़ों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव बसता  था   किसी को यह बताने के जरूरत नहीं थी कि, माता-पिता का आदर करना चाहिए  बड़े बूढों का सम्मान करना चाहिए बच्चों को उन कि आज्ञा  को माननी पड़ती थी, क्यों कि वे हर बात में उन से श्रेष्ठ थे उन के पास श्रेष्ठ ज्ञान उपलब्ध था  यदि उन से कुछ सीखना है तो,  उन का आदर करना पड़ेगा मगर आज पिछले दो सौ सालों से ज्ञान हर किसी को उपलब्ध बन गया, और २१वी सदी  में तो ज्ञान का विस्फोट ही हो गया है 


किसी भी धंदे पर किसी एक जात के लोगों के बकौती नहीं रहगयी है कोई भी कुछ भी काम करने लगा है और कोई भी बात किसी से भी सीखी जा सकती है विज्ञान ने आज सारे विश्व को एक परिवार बना दिया है विज्ञान ने मनुष्य के हर आयाम को प्रभावित किया है आज एक पिता अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा के लिए भेजता है और उस शिक्षा के लिए आर्थिक इंतज़ाम भी पिता ही करता है, जो पुराने जमाने में नहीं होता था । बच्चा विद्यालयों  में शिक्षा प्राप्त करता है उस के पास ज्ञान प्राप्त करने के बहुत सारे साधन और समय होता है, जब कि पिता अपने नौकरी में या रोजगार में लगा रहता है जिस के कारण उस का ज्ञान विस्तृत नहीं हो पाता  है मगर उस के बच्चा अपने पिता के नौकरी से हटकर अलग दुनिया का खूब सारा ज्ञान प्राप्त करचुका होता है वह सिर्फ अब उन का बच्चा नहीं है वह एक स्वछंद माहौल में जीकर आया है.। उस के अलग सपने है वह अब किसी एक विषय में पारंगत होकर आया है मगर पिता के पास तोह वही पुराना ज्ञान है जो अपने स्कूल और काँलेज के दिनों में अर्जित किया था।  मगर वह out of date हो गया है
इस के साथ साथ टीवि, इन्टरनेट जैसे कई माध्यमों से नयी पीढी अपना जनान को बढाती जाती है, जब की बड़े बुजुर्ग  इन सब चीसों को बुरी आदत मानतल  है  इस तरह से दोनों के बीच का खड्डा गहरा होते जाता है  आखिर में यही जेनरेशन गैप के रूप में खडा होकर एक दूसरे को अलग कर देती है  मई ने कई बड़े बड़े विद्वानों को, कवी तथा लेखकों को करीब से देखा है, जो बहार की दुनिया में मंच पर खड़े होकर हजारों  श्रोताओं को अपनी वाणी से, अपना ज्ञान से मंत्रमुग्ध करदेते है  मगर जब ये बुद्धिजीवी अपना घर जाते है तो, घर में उन को पूछनेवाला नही होता है  घर में  उन  का का कोई इज्जत नही होता है   उन के परिवार में  उन की बातों को, और उन की महानता को समझनेवाले ही नही होते है  क्यों की वे अपने घर के सारे सदस्यों के साथ लेकर आगे बढ़ने के बजाय, अपनी विचारों को, तरक्की को समय समय पर उन के साथ बाँटने के बजाय, वे अकेले ज्ञान कमाते चाले जा चुके होते है  वे अपने रास्ते में अकेले हो चुके होते है। इसी लिए उन के बातों को समझने की क्षमता जिन बहारी लोगों में होती हैं, उन लोगों में इन की इज्जत होती है   अपने घर में  नही  जेनरेशन गैप सर पीढ़ियों के बीच नही होती है   पति पत्नी के बीच में भी हो जाती है  क्यों की जैसे मई ने बुद्धिजीवियों का उदाहरण दिया, उसी तरह पति अपने काम काज में व्यस्त रहकर अपना एक अलग दुनिया बना लेता है और पतनी  अपनी अलग  इस तरह पति पत्नी के दो अलग अलग दुनिया बन जाने पर भी वे दोनों एक साथ इसलिए रहपाते है, क्यों की भारत की शादी और सामाजिक व्यवस्था के नियम और बच्चो की जिम्मेदारी, आर्थिकता जैसी  कई सारे तथ्य उन को एक साथ बाँध के रखते है

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