Thursday, June 6, 2013

## हे भगवान ##     


तेरे शरण में आते है लोग
पत्थर के सामने झुकते हैं लोग
क्या,,? जरूरी हैं उन का का वहाँ आना
या फिर तुम को पता नही प्रार्थना ?

तेरे नाम पे मरते मारते
डरते डराते लूटते लुटाते हैं
तुम्हे न समझते समझाते
अपना धन दौलत दिखाते हैं

देखते हैं मूर्ति के रखावालें "कितना मिला?''
सदियों का हैं ये सिल सिला
बस प्रभु बस अब तुम निकल आओ
ये सारे मठ-मंदिर ध्वस्त कर जाओ (wrote on 6th June 2007)

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